ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मुसलमानों का एक खास पर्व है जिसे हर साल बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन इस्लामी चांद्र कैलेंडर (Hijri Calendar) के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को आता है।
इस साल ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की तारीख चांद दिखने पर निर्भर है। ऐसे में 2025 में यह पर्व 4 या 5 सितंबर को मनाया जाएगा।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी क्यों मनाई जाती है?
इस दिन को खास इसलिए माना जाता है क्योंकि इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म इसी दिन मक्का में हुआ था।
माना जाता है कि वे इंसानियत और सच्चाई का रास्ता दिखाने और समाज से बुराइयों को खत्म करने के लिए इस दुनिया में आए थे।
इतिहासकारों के अनुसार, पैगंबर मोहम्मद का जन्म लगभग 570 ईस्वी में हुआ था। रबी-अल-अव्वल महीने की 12वीं तारीख को ही उनका इंतकाल (वफ़ात) भी हुआ था। इसी वजह से कुछ लोग इस दिन को खुशी के मौके के रूप में मनाते हैं तो कुछ लोग इसे शोक के रूप में याद करते हैं।
कैसे मनाई जाती है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी?
- इस दिन लोग अपने घरों और गलियों को सजाते हैं।
- मस्जिदों में नमाज और कुरान की तिलावत की जाती है।
- दरगाहों पर चादर चढ़ाई जाती है।
- जगह-जगह जुलूस निकाले जाते हैं।
- लोग एक-दूसरे को “ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मुबारक” कहकर गले लगते हैं और दुआएं देते हैं।
- दिन का बड़ा हिस्सा अल्लाह की इबादत में गुजारने की परंपरा है।
